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16. कम्प्यूटर वायरस

कम्प्यूटर वायरस

VIRUS – Vital Information Resources Under Seized
यह नाम सयोग वश बीमारी वाले वायरस से मिलता है मगर ये उनसे पूर्णतः अलग होते है.वायरस प्रोग्रामों का प्रमुख उददेश्य केवल कम्प्यूटर मेमोरी में एकत्रित आंकड़ों व संपर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को अपने संक्रमण से प्रभावित करना है ।वास्तव में कम्प्यूटर वायरस कुछ निर्देशों का एक कम्प्यूटर प्रोग्राम मात्र होता है जो अत्यन्त सूक्षम किन्तु शक्तिशाली होता है । यह कम्प्यूटर को अपने तरीके से निर्देशित कर सकता है । ये वायरस प्रोग्राम किसी भी सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़ जाते हैं और उनके माध्यम से कम्प्यूटरों में प्रवेश पाकर अपने उददेश्य अर्थात डाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने के उददेश्य को पूरा करते हैं । अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथवा क्षत-विक्षत कर देते हैं । वायरस से प्रभावित कोई भी कम्प्यूटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कार्य शैली में अनजानी तथा अनचाही रूकावटें, गलतियां तथा कई अन्य समस्याएं पैदा कर देता है ।प्रत्येक वायरस प्रोग्राम कुछ कम्प्यूटर निर्देशों का एक समूह होता है जिसमें उसके अस्तित्व को बनाएं रखने का तरीका, संक्रमण फैलाने का तरीका तथा हानि का प्रकार निर्दिष्ट होता है । सभी कम्प्यूटर वायरस प्रोग्राम मुख्यतः असेम्बली भाषा या किसी उच्च स्तरीय भाषा जैसे “पास्कल” या “सी” में लिखे होते हैं ।
वायरस के प्रकार 
1. बूट सेक्टर वायरस
2. फाइल वायरस
3. अन्य वायरस
वायरस का उपचार : टीके 
जिस प्रकार वायरस सूक्षम प्रोग्राम कोड से अनेक हानिकारक प्रभाव छोड़ता है ठीक उसी तरह ऐसे कई प्रोग्राम बनाये गये हैं जो इन वायरसों को नेस्तानाबूद कर देते हैं, इन्हें ही वायरस के टीके कहा जाता है । यह टीके विभिन्नन वायरसों के चरित्र और प्रभाव पर संपूर्ण अध्ययन करके बनाये गये हैं और काफी प्रभावी सिद्ध हुयें है ।

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