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                                         प्रोग्रामिंग के विभिन्न चरण

1).एल्गोरिथ्म
पारिभाषिक शब्दों में किसी गणितीय समस्या अथवा डाटा को कदम-ब-कदम इस प्रकार विश्लेषित करना जिससे कि वह कम्प्यूटर के लिए ग्राह्म बन सके और कम्प्यूटर उपलब्ध डाटा को प्रयोग में लेकर गणितीय समस्या का उचित हल प्रस्तुत कर सके, एल्गोरिथ्म कहलाता है । जब कम्प्यूटर पर करने के लिए कोई कार्य दिया जाता है तो प्रोग्रामर (आप) को उसकी संपूर्ण रूपरेखा तैयार करनी होती है तथा कम्प्यूटर से बिना गलती कार्य करवाने के लिए किस क्रम से निर्देश दिए जाएंगे, यह तय करना होता है । अर्थात किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है । जब समस्या के समाधान हेतु विभिन्न चरणों को क्रम से क्रमबद्ध करके िलखा जाये तो यह एल्गोरिथ्म कहलाता है ।
ध्यान रखें
· एल्गोरिथ्म में दिए गए समस्त निर्देश सही एवं स्पष्ट अर्थ के होने चाहिए ।
· प्रत्येक निर्देश ऐसा होना चाहिए कि जिसका अनुपालन एक निश्चित समय में किया जा सके ।
· कोई एक अथवा कई निर्देश ऐसे न हों जो अन्त तक दोहराए जाते रहें । यह सुनिश्चित करें कि एल्गोरिथ्म का अन्ततः समापन हो ।
· सभी निर्देशों के अनुपालन के पश्चात, एल्गोरिथ्म के समापन पर वांछित परिणाम अवश्य प्राप्त होने चाहिए ।
· िकसी भी निर्देश का क्रम बदलने अथवी किसी निर्देश के छूटने पर एल्गोरिथ्म के समापन पर वांछित नहीं प्राप्त होंगे ।
2). प्रवाह तालिका 
प्रवाह तालिका वस्तुतः एल्गोरिथ्म का चित्रात्मक प्रदर्शन है, जिसमें विभिन्न रेखाओं एवं आकृतियों का प्रयोग किया जाता है जो कि विभिन्न प्रकार के निर्देशों के लिए प्रयोग की जाती है । सामान्यतः सर्वप्रथम एक एल्गोरिथ्म को प्रवाह तालिका के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और फिर प्रवाह तालिका के आधार पर उचित कम्प्यूटर भाषा में प्रोग्राम को तैयार किया जाता है । प्रोग्राम में तार्किक गल्ती एवं शर्तों के पूरा न होने की स्थिति एल्गोरिथ्म एवं प्रवाह तालिका अधिक स्पष्ट हो जाती है ।
प्रवाह तालिका में प्रयुक्त चिन्ह एवं आकृतियां 
1. टर्मिनल – टर्मिनल का प्रयोग प्रोग्राम के प्रारम्भ , समापन और विराम के लिए किया जाता है । यह प्रोग्राम का प्रारम्भ होना और प्रोग्राम का समापन होना प्रदर्शित करता है ।
 
2. इनपुट/आउटपुट – प्रोग्राम में कोई भी इनपुट देने अथवा आउटपुट प्राप्त करने के लिए इनपुट/आउटपुट चिन्ह का प्रयोग किया जाता है । 
3. प्रोसेसिंग – फ्लोचार्ट में प्रोसेसिंग चिन्ह का उपयोग अंकगणितीय प्रक्रिया एवं डाटा विस्थापन सम्बन्धी निर्देशों के लिए किया जाता है । सभी अंकगणितीय प्रक्रिया जैसे जोड़ना, घटाना, गुणा करना और भाग करना प्रवाह तालिका में प्रोसेसिंग चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । 
4. प्रवाह रेखाएं – तीर की आकृति सिरे वाली यह रेखाएं प्रोग्राम के प्रवाह को प्रदर्शित करने के लिए की जाती है । प्रोग्राम के प्रवाह को प्रदर्शित करने के निर्देशों के क्रम है जिनके अनुसार निर्देशों का क्रियान्वयन किया जाना है । 
5. निर्णायात्मक – प्रवाह तालिका में निर्णायात्मक चिन्ह का प्रयोग यह दर्शाता है कि यहां पर निर्णय लिया है जिसके दो या दो से अधिक विकल्प हो सके हैं ।Decision Box में निर्णय करने के विशिष्ट मान स्पष्ट रूप से प्रकट किए गए हों । 
6. संयोजक चिन्ह – प्रवाह तालिका में दो प्रकार के Connectors प्रयोग किए जाते हैं –
– ऑन पेज कनेक्टर
-ऑफ पेज कनेक्टर
 
7. पूर्व परिभाषित विश्लेषण चिन्ह – प्रवाह तालिका में यदि पहले की गई प्रोसेसिंग को पुनः किसी अन्य बिन्दु पर प्रयोग करना होता है तो उस बिन्दु पर प्रोसेसिंग सिम्बल के स्थान पर इस चिन्ह प्रयोग किया जाता है । 
3).मिथ्या संकेत 
किसी प्रोग्राम को विकसित करने की प्रक्रिया किए जाने वाले कार्य को समझने एवं कार्य के सम्पन्न होने हेतु तर्क निर्धारण से प्रारम्भ होती है और यह कार्य प्रवाह तालिका अथवा मिथ्या संकेत की सहायता से किया जाता है । मिथ्या संकेत प्रवाह तालिका का एक विकसित विकल्प है । मिथ्या संकेत में विभिन्न आकृतियों अथवा चिन्हों की अपेक्षा प्रोग्राम की प्रक्रिया को क्रम से लिखा जाता है । चूंकि इसका प्रोग्राम को Design करने में महत्वपूर्ण स्थान है अतः इसे प्रोग्राम डिजाइन भाषा भी कहा जाता है ।

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