वस्तु केन्द्रित (Object oriented) प्रोग्रामिंग
वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग एक परिचय
हम आम जीवन में किसी भी समस्या के समाधान करने के लिए पहले अपना ध्यान उस वस्तु पर केन्द्रित करते हैं तथा उस वस्तु की विशेषताओं और कमियों से ही उसके प्रयोग की विधियों की खोज करते हैं । इसे इस प्रकार समझें कि यदि हमें किसी मशीन के किसी दोष को दूर करना है, तो सर्वप्रथम उस मशीन तथा उसकी कार्य-विधि आदि के बारे में गहन विचार करते हैं, अब इस मशीन को ठीक करने के लिए उपरोक्त विचार के अनुरुप विधि एवं सामग्री का चुनाव करते हैं । इस विधि से किया गया कार्य समस्या का सटीक निदान होता है । इस प्रकार हम देखते हैं समस्त विश्व वस्तु केन्द्रित (OBJECT ORIENTED) ही है । कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में प्रोग्रामिंग की आधुनिक शैली वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग भी इसी तथ्य के अनुरुप है । आधुनिक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाओं; जैसे – C एवं जावा आदि में इसी प्रोग्रामिंग शैली का प्रयोग होता है ।
मुख्य गुण
· प्रक्रिया से ज्यादा आंकड़ों को महत्व दिया जाता है ।
· प्रोग्राम का ऑब्जेक्ट में विभाजन किया जाता है ।
· आंकड़ों का रूपांकन इस प्रकार किया जाता है कि वह ऑब्जेक्ट की विशेषताओं को दिखायें ।
· ऑब्जेक्ट में काम करने वाले फलनों को डेटा-स्ट्रकचर में साथ-साथ रखा जाता है ।
· आंकड़ों को गुप्त रखा जाता है तथा बाह्य फलनों को उनके परिग्रहण की अनुमति नहीं होती है ।
· ऑब्जेक्टों का आपसी सम्पर्क फलनों के द्वारा होता है ।
कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने की परम्परागत प्रोग्रामिंग शैली में हम परिवर्तनों (VARIABLES) का प्रयोग फंक्शन (FUNCTION) के अन्दर करते हैं । इन्हीं परिवर्तनांकों के आधार पर प्रोग्रामिंग में अनेक प्रकार के कार्य; जैसे – गणनाएं, आकड़ें प्रिंट करना, आकड़ें संचित करना आदि कार्य होते हैं । छोटे प्रोग्राम में हम इन परिवर्तनांक को सरलता से नियंत्रित कर सकते हैं, परन्तु जैसे-जैसे प्रोग्राम बड़ा होता जाता है इन परिवर्तनांकों को नियंत्रित करना कठिन होता जाता है और प्रोग्रामिंग में गलतियां होने की सम्भावनाएं बढ़ती जाती है । वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग में परिवर्तनांकों एवं प्रोग्राम्स को एक वर्ग (CLASS) में सम्बद्ध कर दिया जाता है, जिससे अन्य प्रोग्राम द्वारा किसी वर्ग के आंकड़े प्रभावित नहीं होते हैं । इससे प्रोग्राम को नियंत्रण करना सरल हो जाता है । इस कार्य को वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग भाषा में एनकैप्स्यूलेशन (ENCAPSULATION) जिसका शाब्दिक अर्थ एक के भीतर दूसरा रखने का किया है, कहा जाता है । प्रोग्रामिंग की वस्तु केन्द्रित शैली में पहने से बने किसी प्रोग्राम अथवा वर्ग के आधार पर नए प्रोग्राम को बना सकते हैं । वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग की इस विशेषता को उत्तराधिकार (INHERITANCE) कहा जाता है । प्रोग्रामिंग की इस विशेष शैली का प्रयोग करते हुए हम पहले से बने किसी प्रोग्राम अथवा वर्ग (CLASS) का प्रयोग करके एक नया और समृद्ध सॉफ्टवेयर अत्यंत अल्प समय में विकसित कर सकते हैं
· प्रक्रिया से ज्यादा आंकड़ों को महत्व दिया जाता है ।
· प्रोग्राम का ऑब्जेक्ट में विभाजन किया जाता है ।
· आंकड़ों का रूपांकन इस प्रकार किया जाता है कि वह ऑब्जेक्ट की विशेषताओं को दिखायें ।
· ऑब्जेक्ट में काम करने वाले फलनों को डेटा-स्ट्रकचर में साथ-साथ रखा जाता है ।
· आंकड़ों को गुप्त रखा जाता है तथा बाह्य फलनों को उनके परिग्रहण की अनुमति नहीं होती है ।
· ऑब्जेक्टों का आपसी सम्पर्क फलनों के द्वारा होता है ।
कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने की परम्परागत प्रोग्रामिंग शैली में हम परिवर्तनों (VARIABLES) का प्रयोग फंक्शन (FUNCTION) के अन्दर करते हैं । इन्हीं परिवर्तनांकों के आधार पर प्रोग्रामिंग में अनेक प्रकार के कार्य; जैसे – गणनाएं, आकड़ें प्रिंट करना, आकड़ें संचित करना आदि कार्य होते हैं । छोटे प्रोग्राम में हम इन परिवर्तनांक को सरलता से नियंत्रित कर सकते हैं, परन्तु जैसे-जैसे प्रोग्राम बड़ा होता जाता है इन परिवर्तनांकों को नियंत्रित करना कठिन होता जाता है और प्रोग्रामिंग में गलतियां होने की सम्भावनाएं बढ़ती जाती है । वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग में परिवर्तनांकों एवं प्रोग्राम्स को एक वर्ग (CLASS) में सम्बद्ध कर दिया जाता है, जिससे अन्य प्रोग्राम द्वारा किसी वर्ग के आंकड़े प्रभावित नहीं होते हैं । इससे प्रोग्राम को नियंत्रण करना सरल हो जाता है । इस कार्य को वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग भाषा में एनकैप्स्यूलेशन (ENCAPSULATION) जिसका शाब्दिक अर्थ एक के भीतर दूसरा रखने का किया है, कहा जाता है । प्रोग्रामिंग की वस्तु केन्द्रित शैली में पहने से बने किसी प्रोग्राम अथवा वर्ग के आधार पर नए प्रोग्राम को बना सकते हैं । वस्तु केन्द्रित प्रोग्रामिंग की इस विशेषता को उत्तराधिकार (INHERITANCE) कहा जाता है । प्रोग्रामिंग की इस विशेष शैली का प्रयोग करते हुए हम पहले से बने किसी प्रोग्राम अथवा वर्ग (CLASS) का प्रयोग करके एक नया और समृद्ध सॉफ्टवेयर अत्यंत अल्प समय में विकसित कर सकते हैं
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